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अगले महीने अंतरिक्ष में जाएंगे एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला, 40 साल बाद भारत रचेगा नया इतिहास

Axiom Mission 4: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के सहयोग से इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत अगले महीने मई 2025 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे. वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय होंगे. इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सोयुज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष गए थे.

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ने शुक्रवार (18 अप्रैल 2025) को सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, “भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा के एक निर्णायक अध्याय में प्रवेश कर रहा है. गगनयान की तैयारियों के साथ, यह मिशन भारत की वैश्विक अंतरिक्ष स्थिति को मजबूत करेगा.”

मई में शुभांशु शुक्ला का मिशन होगा लॉन्च
ISRO के प्रमुख वी. नारायणन ने आगामी अंतरिक्ष अभियानों की रूपरेखा पर एक प्रेजेंटेशन दिया. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि इसरो जून में नासा के साथ संयुक्त रूप से विकसित किए गए निसार सैटेलाइट को GSLV-Mark 2 रॉकेट से लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. जुलाई 2025 में ISRO अमेरिका की AST SpaceMobile Inc. के ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रहों को LVM-3 रॉकेट के जरिए कक्षा में स्थापित करेगा. उन्होंने बताया कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का मिशन मई में लॉन्च किया जाएगा, जो भारत के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का हिस्सा होंगे ग्रुप कैप्टन शुक्ला
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इसरो के गगनयान कार्यक्रम के तहत मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए भी चुना गया है. वे भारतीय वायु सेना के एक प्रशिक्षित टेस्ट पायलट हैं. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि Axiom-4 मिशन के माध्यम से उन्हें अंतरिक्ष उड़ान, लॉन्च प्रक्रिया, माइक्रो-ग्रैविटी और आपातकालीन स्थितियों से निपटने का अनुभव मिलेगा.

भारत अगली अंतरिक्ष उपलब्धि के लिए तैयार
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत मानव अंतरिक्ष मिशन और अन्य प्रमुख ISRO अभियानों के माध्यम से अपने अगले अंतरिक्ष मील के पत्थर की ओर अग्रसर है. उन्होंने बताया कि गगनयान जैसी परियोजनाएं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारत की वैश्विक अंतरिक्ष नेतृत्व की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये प्रयास केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत’ की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं. उनके अनुसार, यह मिशन केवल एक अंतरिक्ष उड़ान नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के एक नए युग में मजबूती से कदम रख रहा है, जहां देश न केवल भागीदार है, बल्कि लीडरशिप की दिशा में बढ़ रहा है.

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